एनसीबीसी 18 सुपरटेक परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने का काम करेगा, जो स्थिर हो गए हैं।

नोएडा :नेशनल कंपनी एक्ट अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने ग्रेटर नोएडा वेस्ट खरीदारों के लिए महत्वपूर्ण और महत्वपूर्ण खबर बनाई है। रियल एस्टेट मार्केटर सुपरटेक ने नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) को अटके हुए 18 प्रॉजेक्ट्स को खत्म करने की जिम्मेदारी दी है। हजारों लोग जो अपने घरों का इंतजार कर रहे हैं, उनके लिए यह एक बड़ी राहत होगी। दून चौक परियोजना इस क्रम में शामिल नहीं है।

होमबॉयर्स के हितों की रक्षा की जाएगी।

लंबी सुनवाई के बाद नेशनल कंपनी एक्ट अपीलेट ट्रिब्यूनल ने कथित तौर पर अनुरोध किया कि एनबीसीसी उन सभी परियोजनाओं को रेखांकित करते हुए एक व्यापक योजना बनाए, जिन्हें होल्ड पर रखा गया है। इसके तहत होमबायर्स के हितों की रक्षा करते हुए कारोबार निर्माण में तेजी लाएगा। खरीदारों के हितों की रक्षा के लिए, ट्रिब्यूनल ने रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (आरईआरए) द्वारा स्थापित दिशानिर्देशों के अनुपालन में यह निर्णय दिया है।

न्यायाधिकरण का यह आदेश लंबे संघर्ष के बाद आया है। लिहाजा दून स्क्वॉयर को छोड़कर सुपरटेक कंपनी की सभी रूकी हुई परियोजनाओं के जल्द शुरू होने की उम्मीदों को पंख लग सकते हैं। इससे सुपरटेक के उन बायर्स को भीउम्मीद बंधी है, जो लंबे समय से लंबित रजिस्ट्री के लिए संघर्ष करते आ रहे हैं। खासतौर से ग्रेटर नोएडा वेस्ट की सुपरटेक इको विलेज-1 और सुपरटेक इकोविलेज-2 व 3 में एनसीसीबी (नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन) अपनी ओर से रजिस्ट्री के लिए प्रयास कर सकती है।

क्या होगा असर

जानकारों का मानना है कि न्यायाधिकरण के फैसले से रियल एस्टेट क्षेत्र में तेजी आने की संभावना बढ़ जाएगी। इससे रियल एस्टेट कंपनियों और बायर्स को एक नई उम्मीद बढ़ेगी। क्योंकि नोएडा-ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट में ऐसे हजारों निवेशक हैं, जो फ्लैट की आनर्सशिप, रजिस्ट्री और पजेशन के लिए वर्षों से धक्के खा रहे हैं। रियल एस्टेट कंपनी रजत इंफ्रा के विक्रम संधु कहते हैं कि यह फैसले ऐसे समय में आया है, जब रियल एस्टेट को इसकी सर्वाधिक जरूरत है, यह फैसला संजीवनी का काम करेगा। सुपरटेक में निवेशकों के करोड़ों रुपये वर्षों से फंसे हुए हैं, उन्हें न्यायाधिकरण के निर्णय से बड़ी राहत मिलेगी। न्यायाधिकरण में यह अपील सुपरटेक लिमिटेड के सस्पेंडेड डॉयरेक्टर रामकिशोर अरोरा की ओर से यूनियन बैंक आफ इंडिया एंड अदर की खिलाफ की गई थी।

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