ATS वन हमलेट सोसाइटी मैं Ev वाहन के चार्जिंग पॉइंट को लेकर मचा हंगामा

NOIDA NEWS: वर्ष 2024 में EV की बिक्री में 45% की वृद्धि के साथ भारत के EV बाज़ार में तेज़ी से वृद्धि देखी जा रही है। EV ऑनर्स की समस्याएं भी बढ़ती जा रही है।नोएडा के सेक्टर 104 में स्थित वन हमलेट सोसाइटी मैं Ev वाहन के चार्जिंग पॉइंट को लेकर मचा हंगामा सोसाइटी के निवासी का कहना है। की सोसाइटी मैं लगभग 22 EV वाहन फिलहाल मौजूद है। लेकिन अब चार्जिंग की समस्याएं इतनी बढ़ चुकी है की गाड़ी लेने पर हमें अफसोस हो रहा है।


हमने सोसाईटी के EV ऑनर ओनर गौरव बताते हैं कि हमें अपने RWA से से दो-तीन रिक्वेस्ट है। जिसके लिए वह तैयार नहीं है। हमने EV वाहन खरीदा तो हमने चार्जिंग पॉइंट के लिए उनसे बात हमारी सोसाइटी में 4 कम्युनिटी चार्ज लगाए हुए हैं। A B C D आपको बता दे कि हमारी सोसाइटी में लगभग 22 गाड़ियां होगी और एक गाड़ी को चार्ज होने में 8 घंटा लगता है। अगर कोई अपनी वहां चार्ज कर रहा है तो चार्जर का इंटरलॉक हो जाता है। गाड़ी से चार्ज तभी निकल सकता है जब तक की गाड़ी का मालिक जाकर उसे खुद ना निकले जिसके बाद हमारे पास सिर्फ तीन चार्जिंग प्वाइंट्स बचते हैं। जो की काफी नहीं है। क्योंकि गाड़ियों की संख्या अधिक है। हम RWA से मांग कर रहे हैं कि हमें पार्किंग में 15 एम का स्विच सॉकेट लगवा दिया जाए l लेकिन इस पर RWA का कहना है कि इसमें फायर रिस्क है। आपकी मीटर से केवल जाएगी चार्ज होगा तो उसमें फायर रिस्क हो सकता है। सोसाईटी के निवासियों की मांग है की पार्किंग में हर किसी का अपना एक इंडिविजुअल चार्जिंग पॉइंट लगवा दिया जाए पार्किंग में EV एनवायरनमेंट के लिए काफी अच्छा है और हम सब जानते हैं कि एनसीआर में पॉल्यूशन की समस्या कितनी अधिक है। और दूसरी अच्छी चीज यह है कि यह हमारे रनिंग कॉस्ट पर पड़ता है 2 rs पर किलोमीटर जो कि वहां बाकी वाहनों से सस्ता पड़ता है।
सोसाईटी के EV ओनर शांतनु गुलकंदी और सुमित हांडा जी बताते हैं कि मेरे पास दो गाड़ियां है एक डीजल की और EV पर मैं अधिक डीजल वाली गाड़ी ही चला पाता हूं क्योंकि मैं टीवी को चार्ज नहीं कर पाता चार्जिंग प्वाइंट्स के अभाव के कारण
शाम के टाइम पर सभी ऑफिस से आते हैं और जब मैं आता हूं तो यहां पहले से ही गाड़ियां चार्ज में लगी होती हैं। अगर सबको अपना इंडिविजुअल चार्जर मिल जाए चार्जिंग पॉइंट मिल जाए तो समस्याओं का हल हो सकता है।
चुनौतियाँ क्या हैं?
चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर:
पर्याप्त चार्जिंग स्टेशन नहीं हैं,
विशेष रूप से बड़े शहरों के बाहर।
इससे पहुँच की कमी प्रदर्शित होती है और कई EV मालिकों के लिये लंबी दूरी की यात्रा अव्यवहारिक हो जाती है।
उच्च स्थापना एवं रखरखाव लागत:
चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिये महत्त्वपूर्ण निवेश की आवश्यकता होती है और उनके रखरखाव से परिचालन लागत भी बढ़ जाती है।
इससे निवेश करने के इच्छुक ऑपरेटरों की संख्या सीमित हो सकती है, जिससे बुनियादी ढाँचे के विकास में बाधा आ सकती है।
रेंज की चिंता और लंबे समय तक चार्जिंग:
चार्जिंग स्टेशनों की सीमित उपलब्धता, गैसोलीन वाहनों की तुलना में EV की अपेक्षाकृत कम ड्राइविंग रेंज के साथ संभावित खरीदारों के लिये चिंता उत्त्पन्न करती है। गैस टैंक भरने में तुरंत समय लगता है जबकि EV को चार्ज करने में घंटों लग सकते हैं।
लागत:
EV की उच्च अग्रिम लागत:
बैटरी और प्रौद्योगिकी लागत के कारण इलेक्ट्रिक वाहन स्वयं तुलनीय गैसोलीन मॉडल की तुलना में अधिक महँगे हैं। बजट के प्रति जागरूक भारतीय उपभोक्ताओं के लिये यह एक बड़ी बाधा है।
बैटरी की उच्च लागत:
बैटरी तकनीक अभी भी विकसित हो रही है, साथ ही उत्पादन लागत अभी भी ऊँची बनी हुई है। इसका EV की कुल कीमत पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
ग्राहक सहायता एवं जागरूकता:
सेवा विकल्पों का अभाव:
EV के लिये सेवा नेटवर्क अभी भी विकसित हो रहा है। EV के लिये प्रशिक्षित तकनीशियन एवं सेवा केंद्र ढूँढना कुछ मालिकों के लिये चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
उपभोक्ता जागरूकता का अभाव:
कुछ संभावित EV खरीदार इलेक्ट्रिक वाहनों के लाभों से परिचित नहीं हो सकते हैं अथवा उनके बारे में गलत धारणाएँ हो सकती हैं।
इससे उन्हें गैसोलीन से स्विच करने के लिये मनाना कठिन हो सकता है।

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