बच्चों को स्कूल में दाखिले कराने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी।

NOIDA : यदि आप अपने बच्चे के स्कूल के दिन के लिए तैयारी कर रहे हैं और आपके घर में एक छोटा बच्चा है, तो यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण है। नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत, भारतीय सरकार ने पहली कक्षा में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु सीमा निर्धारित की है। इसलिए, केवल वे बच्चे जो छह साल के हो चुके हैं, अब देश के सभी स्कूलों में कक्षा 1 में प्रवेश ले सकेंगे।

शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह विकल्प बच्चों की बौद्धिक, मानसिक और शारीरिक विकास को ध्यान में रखकर लिया गया था ताकि वे सही उम्र में स्कूल जाना शुरू कर सकें और अपनी पढ़ाई के लिए तैयार हो सकें। इसके परिणामस्वरूप बच्चों को उचित शैक्षणिक अवसर और बेहतर सीखने का वातावरण मिलेगा। नया नियम क्या है? शिक्षा मंत्रालय की दिशा-निर्देशों के अनुसार, किसी बच्चे को पहली कक्षा में प्रवेश लेने के लिए छह साल का होना आवश्यक है। बहुत से स्कूल पांच साल या उससे छोटे छात्रों को स्वीकार करते थे, लेकिन अब यह कानूनों के खिलाफ है।

न्यूनतम उम्र सीमा (हर कक्षा के लिए)

परिवर्तन की आवश्यकता क्यों है? बच्चों के स्वस्थ विकास के लिए: बच्चे जो बहुत जल्दी स्कूल जाते हैं, वे मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार नहीं होते हैं, जिससे उन्हें सीखने में रुचि खोने का अनुभव होता है। NEP 2020: नई शिक्षा नीति का 5+3+3+4 ढांचा यह निर्धारित करता है कि एक बच्चे को प्रीस्कूल में तीन साल तक जाना चाहिए ताकि वह कक्षा 1 में प्रवेश करते समय कम से कम छह वर्ष का हो। समान शिक्षा प्रणाली: सभी स्कूल, चाहे वे केंद्रीय, राज्य बोर्ड, CBSE या ICSE हों, इस मानक नियम का पालन करेंगे। कौन से स्कूल इस नियम के अधीन हैं?

अगर बच्चा 6 साल से कम है तो क्या करें?


अगर आपके बच्चे की उम्र अभी 6 साल से कम है, तो उसे फिलहाल UKG तक पढ़ाते रहें। जब उम्र पूरी हो जाए, तभी कक्षा 1 में दाखिला कराएं। जल्दबाजी में एडमिशन दिलाना अब न सिर्फ नियमों के खिलाफ होगा, बल्कि बच्चे के विकास पर भी असर डाल सकता है।
एडमिशन प्रक्रिया में उम्र की जांच कैसे होगी?
स्कूल बर्थ सर्टिफिकेट की जांच करते हैं।
कुछ संस्थान आधार कार्ड की भी मांग करते हैं।
डिजिटल एडमिशन सिस्टम में जन्मतिथि का स्वत: सत्यापन होता है।
इस फैसले से क्या लाभ होंगे?
बच्चे पढ़ाई के लिए अधिक परिपक्व होंगे।
मानसिक दबाव कम होगा।
सभी स्कूलों में एक समान शैक्षिक ढांचा बनेगा।
शिक्षक बच्चों को बेहतर तरीके से पढ़ा सकेंगे।
क्या कुछ राज्यों में पहले से लागू था यह नियम?
जी हां, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे राज्यों में पहले से ही कक्षा 1 के लिए 6 साल की न्यूनतम उम्र अनिवार्य थी। अब यह नियम पूरे देश में लागू किया जा रहा है।
अभिभावकों के लिए जरूरी सुझाव
जल्दबाजी में बच्चे को स्कूल न भेजें।
प्री-स्कूलिंग को गंभीरता से लें।
बच्चे की मानसिक, शारीरिक और सामाजिक तैयारी पर ध्यान दें।
स्कूल में दाखिले से पहले नियमों की अच्छे से जांच करें।

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