बिज़नेस करने वाले नए जीएसटी नियम  को जरूर पढ़ लीजिए

जीएसटी नया नियम: यदि आप एक व्यवसाय के स्वामी हैं तो यह जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है। आपको बता दें कि नए जीएसटी नियमों को समझना कारोबारियों के लिए जरूरी है। क्योंकि 2025 से नए जीएसटी नियम लागू होंगे। व्यवसायी इस नए विनियमन के अधीन होगा। जीएसटी कारोबारियों के लिए जिन्होंने 20 करोड़ से ज्यादा खर्च किए हैं, उनके लिए यह खबर अहम है। वर्ष 2025 से, बहु-कारक और प्रमाणीकरण अनुवाद किया गया है। आइए इसके बारे में गहराई से जानें।

अब हम वर्ष 2025 में हैं। ऐसे में जीएसटी से संबंधित एक नया नियम भी तैयार किया गया है। ई-वे बिल और ई-चालान प्रणाली को एक नया अपडेट मिला है। अब आप एमएफए 2025 के अधीन होंगे यदि आप 20 करोड़ से अधिक टर्नओवर राशि वाले व्यवसायी हैं। परिणामस्वरूप, 1 अप्रैल, 2025 से शुरू होकर, MFA 5 करोड़ से ऊपर के टर्नओवर पर लागू होगा।

नया जीएसटी नियम सुरक्षा बढ़ाने और धोखाधड़ी और झूठी बिलिंग को रोकने के लिए बनाया गया था। चालान की तारीख के 180 दिनों के भीतर नई प्रणाली के तहत ई-वे बिल का उत्पादन नहीं किया जाएगा। ई-वे बिल उच्चारण निम्नलिखित 360 दिनों के लिए उपलब्ध होगा।

क्या है वे बिल

बता दें कि ई वे बिल का पूरा नाम electronic Way Bill है। यह एक डिजिटल डॉक्यूमेंट के फॉर्म में होता है जिसे समय के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए तैयार किया जाता है। जीएसटी व्यवस्था के तहत ई वे बिल का उपयोग वस्तुओं के आने और ले जाने को ट्रैक करने के लिए किया जाता है।

ई वे बिल एक यूनीक 12 अंकों का नंबर होता है जिसे किसी वस्तु के एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने से पहले जनरेट किया जाता है या जीएसटी पोर्टल और ई वे बिल पोर्टल पर ऑनलाइन तैयार किया जाता है।

अगर आप बिजनेसमैन हैं तो आपको यह जरूर पता होगा कि आप अगर 50000 या उससे ज्यादा की कीमत का माल खरीदते हैं तो ई वे बिल जनरेट करना ज़रूरी होता है। यह सीमा अंतर राज्य और राज्य के भीतर दोनों प्रकार की वस्तु परिवहन पर लागू होता है। इसके साथ ही सड़क, रेल, वायु या जलमार्ग के माध्यम से माल की आवाजाही के लिए ई वे बिल बहुत जरूरी होता है।

जानिए कैसे जनरेट किया जाता है E-WAY Bill

ई-वे बिल जनरेट करने की प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन होती है। इसे अलग-अलग चरणों में जनरेट किया जाता है। ई वे बिल न होने पर वहाँ और माल को जप्त किया जाता है। साथ ही माल के मूल्य का 10% या फिर 10000 रुपए, जो अधिक हो, जुर्माना लगाया जाता है। डिलीवरी में देरी बिना ई वे बिल के माल परिवहन करते हुए पकड़े जाने पर डिलीवरी प्रक्रिया में भी देरी होती है।

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