विद्यार्थियों को क्यों लगता है Board Exams से डर-जानिए exam phobia दूर करने के कुछ सहज सरल तरीक़े

नोएडा: अब बस कुछ 2 महीनों में बोर्ड एग्जाम शुरू होने वाले हैं, ऐसे में कई बच्चों को अभी से सोच -सोच कर डर लग रहा है कि एग्जाम में क्या होगा ।यह समय 10वीं और 12वीं के विद्यार्थियों के लिए सबसे तनावपूर्ण समय होता है। क्या आपने कभी सोचा है कि परीक्षा से पहले किस तरह के डर छात्रों को सताते हैं? क्यों विद्यार्थियों को बोर्ड एग्जाम से इतना डर लगता है? इस डर का उनके दिमाग पर क्या असर पड़ता है? अगर इन सभी समस्याओं के कारण और उनके निदान के विषय में जानना चाहते हैं तो यह ख़बर आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण हैl
इस सन्दर्भ में अपार्टमेंट टाइम्स ने भिन्न-भिन्न स्कूल के शिक्षकों से बात करने की कोशिश की
शिक्षाक बताते हैं कि अक्सर अभिभावक अपने बच्चों से ये कहते मिल जाएंगे कि बोर्ड एग्जाम को हल्के में न लो या बोर्ड एग्जाम के लिए पढ़ाई कर लो। इससे बच्चों के दिमाग में एक प्रेशर क्रिएट होता है। इस तरह की बातें कभी-कभी विद्यार्थियों के मन में विपरीत प्रभाव डालती हैं। विद्यार्थियों को यह लगने लगता है कि अगर रिजल्ट खराब हो गया तो क्या होगा। बोर्ड एग्जाम की तैयारी के लिए विद्यर्थियों को प्रोत्साहित करना अच्छी बात है. मगर अत्यधिक दबाव बुरा असर डालती हैं, जिसकी वजह से विद्यार्थियों को बोर्ड एग्जाम से डर लगने लगता है। इस डर की वजह से कभी-कभी छात्र एग्जाम के दौरान प्रश्नों के उत्तर आते हुए भी वे भूलने लगते हैं l
इस डर को बच्चे के मन से निकालने के लिए काउंसलिंग करें
अभिभावकों को ज़रूरत है कि वो अपने बच्चों की अच्छे से काउंसलिंग करें. वो विद्यार्थियों को समझाएं कि ख़राब रिजल्ट उनके करियर पर क्या प्रभाव डाल सकता है। बहुत से छात्र ऐसे होते हैं जो पूरे साल अच्छे से पढ़ाई करते है, प्री बोर्ड परीक्षा देते हैं मगर पुराने साल के पेपर्स हल नहीं करते या करते भी हैं तो बहुत कम। इस वजह से विद्यार्थियों को सब आते हुए भी बोर्ड एग्जाम से डर लगता है।
इस डर से बचना बहुत आसान है । विद्यार्थी एग्जाम से 1 या 2 महीनें पहले बोर्ड एग्जाम के पाँच से दस साल के पेपर्स ज़रूर हल करें। पुराने साल के पेपर्स हल करने से विद्यार्थियों में कॉन्फिडेंस आता है। बोर्ड एग्जाम में अक्सर प्रश्न और कांसेप्ट रिपीट होते हैं इसलिए पुराने साल के पेपर्स हल करना ज़रूरी भी है l
प्रैक्टिस की कमी – आसान सा सवाल घुमा फिर कर पूछा जाए तो उन्हें कभी-कभार वह सवाल समझने में दिक्कत होती है
NCERT किताबों के हर चैप्टर के पीछे दी गयी एक्सरसाइज लगाने के आलावा विद्यार्थियों को क्वेश्चन बैंक और सैंपल पेपर से भी प्रैक्टिस ज़रूर करनी चाहिए । कई बार एक ही कंसेप्ट्स से घुमा-फिर कर कई सवाल बनते हैं। कुछ छात्रों से अगर आसान सा सवाल घुमा फिरा कर पूछा जाए तो उन्हें सवाल समझ नहीं आता । कई बार आते हुए सवालों के जवाब भी नही लिख पाते है। ऐसे विद्यार्थी अगर प्री बोर्ड परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते तो उन्हें बोर्ड एग्जाम से डर लगने लगता है। विद्यार्थियों को जितना ज़्यादा हो सके क्वेश्चन बैंक और सैंपल पेपर्स से प्रैक्टिस करनी चाहिए।शिक्षक बताते हैं ऐसा करने से उन्हें एग्जाम में कोई प्रश्न अपरिचित नहीं लगता ।
कहीं भी एग्जाम देने के लिए खुद को तैयार करें
स्कूल एग्जाम में विद्यार्थी अपने स्कूल में (अपने परिचित टीचर्स के सामने) पेपर देते हैं। परन्तु बोर्ड एग्जाम में उन्हें एग्जाम सेंटर (दुसरे स्कूल) में जाना पड़ता है।कुछ छात्र नयी जगह में असहज महसूस करते हैं.परीक्षा के दौरान कभी-कभी निरीक्षक अगर उनके पास आ जाये तो कुछ छात्रों को पेपर हल करने में कठिनाइयां महसूस होने लगती हैं। विद्यार्थियों को अपने आपको मानसिक रूप से कहीं भी एग्जाम देने के लिए खुद को तैयार रहना चाहिए । विद्यार्थी अपने रिश्तेदार (या कोई भी नयी जगह) जाकर सैंपल पेपर हल करने की कोशिश करें l प्रैक्टिस से विद्यार्थी अपनी एकाग्रता शक्तिआसानी से सशक्त कर सकते हैं। Guess Papers की भी मदद ले सकते हैं
इस डर से बचने के लिए सटूडेंट को ज़्यादा से ज़्यादा सैंपल पेपर्स हल करने चाहिए। विद्यार्थी चाहें तो Guess Papers की भी मदद ले सकते हैं। नए पेपर्स हल करने से विद्यार्थियों में कॉन्फिडेंस बढ़ता है और उन्हें बेहतर टाइम मैनेजमेन्ट करना भी आ जाता है। साथ ही अपने सीनियर या शिक्षाकों से अगर सवाल समझ नही आ रहा है तो पूछना चाहिए।


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