कब आएगा गंगाजल, पीने लायक नहीं ग्राउंड वॉटर, नोएडा के प्रीमियम सोसाइटी प्रतीक लॉरेल में लोगों की बढ़ रही चिंता

नोएडा: के प्रीमियम सोसाइटी प्रतीक लॉरेल मे प्रदूषित पानी ने निवासियों की चिंता बढ़ा दी है। सोसाइटी के सचिव अविनाश कुमार के अनुसार जल विभाग द्वारा की जा रही जलापुर्ति का टीडीएस (टोटल डिजॉल्वड सॉलिड) 1500 से लेकर 2000 मिलीग्राम प्रति लीटर तक पहुंच गया है। आपुर्ति की जा रही भूजल पीने योग्य नहीं है। 300 से कम टीडीएस पीने योग्य माना जाता है। इतनी खराब स्थिति होने के बावजूद सोसाइटी में करीब एक साल से गंगाजल सप्लाई नहीं हो रही है।

पीने वाले पानी में टीडीएस अधिक है
सोसाइटी के AOA पदाधिकारियों के द्वारा इस के सम्बन्ध मे जल विभाग और नोएडा ऑथरिटी को कई बार अलग अलग माध्यमों से सुचना दी गयी है, पर उसके बावजूद गंगा जल की आपूर्ति बहाल नहीं की गयी। डॉक्टरों का कहना है कि यदि पीने वाले पानी में टीडीएस अधिक है और उसका नियमित रूप से सेवन किया जा रहा है तो धीरे-धीरे यह किडनी और लीवर को प्रभावित करने लगता है। टीडीएस ज्यादा होने की वजह से आरओ सिस्टम भी जल्दी जल्दी खराब होता है। ऐसे में लोग यही सवाल कर रहे हैं कि आखिर गंगाजल की सप्लाई कब बहाल होगी?
टीडीएस क्या होता है?
पानी एक अच्छा विलायक है और इसमें गंदगी आसानी से घुल जाती है। शुद्ध जल को सार्वत्रिक विलायक (universal solvent) कहते हैं। ऐसा पानी स्वादहीन, रंगहीन और गंधहीन होता है।
टीडीएस का मतलब पूरी तरह से घुले हुए ठोस पदार्थ हैं। टीडीएस पानी में घुले सभी कार्बनिक और अकार्बनिक ठोस पदार्थों का माप है।पानी में कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, सोडियम, क्लोराइड और सल्फेट आदि जैसे अकार्बनिक पदार्थ होते हैं और इसमें कार्बनिक पदार्थ भी कम मात्रा में होते हैं।
जल में इन खनिजों की एक निश्चित मात्रा तक उपस्थिति स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। लेकिन एक स्तर से अधिक यह हानिकारक होता है। पानी की शुद्धता जांचने के लिए टीडीएस का इस्तेमाल किया जाता है। इसके जरिए यह पता लगाया जाता है कि पानी शुद्ध है या नहीं और पीने योग्य है या नहीं।
पीने के पानी का टीडीएस कितना होना चाहिए
भारतीय मानक ब्यूरो के अनुसार पीने के पानी का टीडीएस स्वीकार्य सीमा 500 मिलीग्राम है

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