Noida: शहर के बिल्डरों के कारण प्यास से मर जाएंगे लोग, यकीन नहीं हो रहा तो पढ़िए ये खबर

ग्रेटर नोएडा: एक तरफ जहाँ हम जल संरक्षण की बात करते हैं, ताकि हम या हमारी आने वाली पीढ़ी प्यासी न रहें । लेकिन धरातल पर सच्चाई कुछ और ही होती है। एक रिपोर्ट के अनुसार नोएडा में हर साल अंडर ग्राउंड वाटर का स्तर दो से पांच फीट गिरता जा रहा है। ऐसे में यहाँ बिल्डर पानी को बर्बाद कर रहे हैं। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण भी भूजल स्तर की अनदेखी कर बिल्डरों को बेसमेंट बनाने की अनुमति जारी कर रहे हैं । जिस कारण भूजल दोहन हो रहा है। हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें पानी को प्रशासन की अनुमति के बिना डी-वॉटरिंग कर बाहर फेंका जा रहा था। इस मामले में भूगर्भ जल विभाग ने भी तीनों प्राधिकरणों को पत्र भेजा है, फिर भी प्रोजेक्टों के नक़्शे स्वीकृत करने में नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है।

शिकायत के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई

अभी कुछ दिन पहले भूगर्भ जल विभाग को नोएडा के सेक्टर 142 के चार प्रोजेक्टों में डी-वॉटरिंग करने की शिकायत मिली थी। जिसके बाद विभाग की टीम मौक़े पर पहुँची, लेकिन तब तक डी-वाटरिंग (भूजल को पंप से बाहर निकालना) हो चुका था। जाँच में पता चला कि यमुना नदी के नज़दीक होने के कारण वहां का जल स्तर काफी ऊपर है, जबकि प्राधिकरण ने प्रोजेक्ट के नक्शे में 14 से 15 मीटर का बेसमेंट बनाने की स्वीकृति दे रखी थी। भूजल विभाग ने कंपनी पर जुर्माना लगाने की सिफारिश की है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट

भूजल विभाग की अंकिरा बताती हैं कि उन प्रोजेक्ट्स पर एनओसी (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) लिया गया था। जब हम मौके पर पहुँचे पानी निकाला जा चुका था। हमने कार्रवाई की अनुशंसा की है, जल्द बड़ी कार्रवाई की जाएगी। वहीं पर्यावरणविद विक्रांत टोंगड बताते हैं कि नोएडा में भूजल हर साल पांच फीट तक गिरता जा रहा है। आबादी लगातार बढ़ती जा रही है, ऐसे में कभी ऐसा समय आएगा जब पानी की कमी विकराल रूप धारण कर लेगी। एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के आदेश के अनुसार कोई भी बिल्डिंग बनाते वक़्त पानी की बर्बादी नहीं किया जा सकता।
विक्रांत बताते हैं कि किसी प्रोजेक्ट के नक्शे में बेसमेंट की स्वीकृति देने के समय भूजल स्तर की जांच करना ज़रूरी है, लेकिन अधिकतर प्रोजेक्टों में भूजल स्तर की जांच नहीं की जा रही है।

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