
हमने केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक एक्ट लागू कराने की लड़ाई लड़ी। लंबे संघर्ष के बाद लागू हुआ, लेकिन अब तक लिफ्ट एक्ट पर एडवाइजरी जारी नहीं की है। लोगों को पता नहीं है कि कहां शिकायत करनी, अभी तक बिल्डर के पास भी लिफ्ट एक्ट को लेकर प्रशासन की तरफ़ से कोई निर्देश दिया गया है और ना ही मॉक अप ड्रिल इत्यादि सुरक्षा संबंधित मानको पर कर हो रहा है।
जरुरत के हिसाब से लिफ्ट लगाई जाए और बिल्डिंग में सर्विस लिफ्ट भी होनी चाहिए।
लिफ्ट की वायरिंग की समय से जांच नहीं होती। कमजोर पड़ने पर हादसा होने का खतरा अधिक रहता है।
ऑटो रेस्क्यू डिवाइस की बैट्री कमजोर होती है। जो जल्दी खराब हो जाती है। इस कारण लिफ्ट नजदीकी फ्लोर पर नहीं पहुंच पाती।
अगर लिफ्ट में फंसने वाला व्यक्ति मदद मांगता है तो सुरक्षाकर्मी के पर जिम्मेदारी होती है। वो प्रशिक्षित नहीं होते है। इसमें सुधार की जरूरत।एजेंसी को समय से भुगतान नहीं होने के कारण रखरखाव में होती है लापरवाही, बिल्डरों की भी तय हो जिम्मेदारी