दुर्घटना में घायल महिला की फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टरो ने बचाई जान, ऑपेरशन में लगे थे दो घंटे

ग्रेटर नोएडा, 9 नवंबर 2023: डॉक्टरों को धरती पर भगवान ऐसे ही नहीं कहा जाता है। हम आपको बताते हैं ऐसी ही कहानी जिससे आपको इस कथन पर विश्वास हो जाएगा। हाल ही में गाड़ी चलाते समय सड़क के डिवाइडर से एक महिला टकरा गई। इस दुर्घटना के बाद महिला गंभीर रूप से घायल हो गई थी, जिस कारण महिला के सिर में गहरी चोट लग आई। उस महिला की जान बचाने के लिए फोर्टिस हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा के डॉक्टरों ने एक जटिल सर्जरी की, जिसके बाद उसकी जान बच पाई।

दुर्घटना के बाद थी हालात नाजुक

दुर्घटना के बाद अस्पताल लाई गई महिला की आंख की पुतली में कोई हलचल नहीं हो रही थी। मस्तिष्क के दाहिने तरफ एक बड़ा थक्का बन गया था। ये जिसको ऑपेरशन करके ही हटाया जा सकता था। यह बेहद जटिल प्रक्रिया थी, डॉक्टरों ने फिर भी रिस्क लेना उचित समाझा। हॉस्पिटल के डॉक्टरों के अनुसार सड़क दुर्घटना के मामलों में जहां सिर सीधे किसी कठोर सतह से टकराता है, मस्तिष्क के अंदर एक थक्का बन जाता है, जिससे मस्तिष्क के अंदर भारी दबाव पैदा होता है। न्यूरो सर्जन की टीम द्वारा समय पर की गई प्रक्रिया मस्तिष्क की चोट से होने वाली किसी भी विकलांगता के साथ-साथ मौत को रोकने में मदद कर सकती है।

जटिल ऑपेरशन का रिस्क लेने से बची जान

बीते सप्ताह फोर्टिस हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा की ओपीडी से निकलने के कुछ ही मिनट बाद, 46 वर्षीय महिला को सड़क दुर्घटना का सामना करना पड़ा और उसे ग्रेटर नोएडा के फोर्टिस अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में लाया गया। महिला का सिर सड़क के डिवाइडर से टकराया था और वह तुरंत बेहोश हो गई थी। दुर्घटना के समय वो अपने बेटे के साथ थी। दुर्घटना के बाद उनका बेटा ठीक था, उसे कोई बड़ी चोट नहीं आई थी। इसलिए वह अपनी मां को तत्काल वापस फोर्टिस अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में ले आया। ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों ने महिला की जांच की और पाया कि उसकी आंख की पुतली नहीं हिल रही है, उनकी स्थिति गंभीर थी। उन्हें सांस लेने में मदद करने के लिए तुरंत वेंटिलेटर पर रखा गया। ग्रेटर नोएडा के फोर्टिस हॉस्पिटल के न्यूरोसर्जरी के कंसल्टेंट डॉ. प्रशांत अग्रवाल ने कहा, “जब हमने मरीज की जांच की, तो उसको सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। मरीज के दिल की धड़कन कमजोर पड़ रही थी, जबकि उसका रक्तचाप बढ़ रहा था। लगातार उसकी स्थिति बिगड़ती दिख रही थी।

डॉक्टरों ने दिखाई तत्परता

मरीज के मस्तिष्क में चोट की जांच करना महत्वपूर्ण था। इसलिए एक सीटी स्कैन किया गया, जिसमें यह पता चला कि उसके मस्तिष्क के दाहिने तरफ एक रक्त का बड़ा थक्का जमा था और मस्तिष्क के आंतरिक भाग में भी रक्तस्राव हो रहा था।” डॉक्टरों ने परिवार को मरीज की स्थिति के बारे में सूचित किया, यह कहते हुए कि उसकी स्थिति गंभीर है और केवल तत्काल मस्तिष्क सर्जरी से थक्का निकाल कर उसकी जान बचाई जा सकती है। परिवार सहमत हो गया और एक डिकंप्रेशन क्रेनियोटोमी की गई। यह एक न्यूरोसर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें खोपड़ी के एक हिस्से को हटा दिया जाता है ताकि सूजन वाला हिस्सा बिना किसी दबाव के फैल सके। डॉ.अग्रवाल ने आगे बताया, “ऑपरेशन शाम लगभग 4:45 बजे शुरू हुआ और 6:45 बजे तक मरीज के मस्तिष्क से थक्का निकाल लिया गया। रात करीब 8 बजे उनकी आंखों की पुतलियां अपने सामान्य आकार में आ गई थीं और मरीज ने प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया था, जो एक सकारात्मक संकेत था।

48 घंटे थे बड़े नाजुक

अगले 48 घंटों के लिए महिला को वेंटिलेटर पर आईसीयू में रखा गया ताकि उनकी बारीकी से निगरानी की जा सके। मरीज को वेंटिलेटर से हटाने के लिए, एक ट्रेकियोस्टोमी भी की गई। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो गर्दन के बाहर से श्वास नली (विंड पाइप) में एक छेद बनाकर हवा और ऑक्सीजन को फेफड़ों तक पहुंचने में मदद की जाती है।” मरीज अब होश में है और इशारों के माध्यम से संवाद कर सकती हैं। उनकी स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है, डॉक्टरों ने बताया कि उम्मीद है कि जल्दी ही उनके फेफड़ों से पाइप हटा दिया जाएगा और वह बोल भी सकेंगी।

आसान नहीं था ऑपेरशन फिर भी जान बचाने के लिए किया रिस्क

फोर्टिस हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा के फैसिलिटी डायरेक्टर प्रमित मिश्रा ने कहा, “सिर की चोट का ऑपरेशन करना बेहद जटिल होता है और ऐसे में टाइम मैनेजमेंट किसी जीवन को बचाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। हमारे डॉक्टरों ने सही मेडिकल प्लान तैयार किया, जीवन रक्षक सर्जरी की और मरीज की जान बचाई। फोर्टिस अस्पताल, ग्रेटर नोएडा, मोटरवे के नजदीक है और उन क्षेत्रों के पास है जहां वाहन तेज गति से चलते हैं। हमारी सुविधा आपातकालीन सेवाओं के लिए सर्वश्रेष्ठ उपकरणों से सुसज्जित है, जिसमें इन-हाउस न्यूरोसर्जन समय पर देखभाल प्रदान करने और जीवन बचाने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।”

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