इकोविलेज-1 में ‘सौ रुपया संकट’ का क्लाइमेक्स: अब चुनाव अधिकारी का यू-टर्न, पहले वसूली, फिर माफी… ये कैसा ऑफर है?

ये AOA चुनाव है या ‘सुपरटेक इकोविलेज में 100 रुपया चैलेंज’? एक तरफ चुनाव की प्रक्रिया, दूसरी तरफ VIP गेस्ट लिस्ट… ये किस एक्ट में आता है? अब जब 100 रुपए वापस हो गए, क्या चुनाव अधिकारी भी कैश की तरह वापस लिए जाएँगे?

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इकोविलेज-1 निवासी 100 रुपए ‘विशेष वसूली’ के विरोध में डिप्टी रजिस्ट्रार कार्यालय पहुंचे, चुनाव अधिकारी के खिलाफ शिकायत दर्ज
इकोविलेज-1 निवासी 100 रुपए ‘विशेष वसूली’ के विरोध में डिप्टी रजिस्ट्रार कार्यालय पहुंचे, चुनाव अधिकारी के खिलाफ शिकायत दर्ज

ग्रेटर नोएडा : सुपरटेक इकोविलेज-1 का ‘100 रुपए इमरजेंसी वसूली कांड’ अब इंटरवल पार करके सीधे क्लाइमेक्स मोड में पहुँच गया है। जिन 100 रुपयों ने चुनाव अधिकारी आशीष मौर्या की कुर्सी हिलानी शुरू की थी, अब वही 100 रुपये उनकी फाइल में स्वीकारोक्ति के रूप में दर्ज हो गए हैं।

कैश दो… कैश इज किंग !

जी हां ! जिनके नाम पर कैश दो… कैश इज किंग वाला अभियान चल रहा था, अब उन्होंने ही आधिकारिक चिट्ठी में लिख दिया, ‘100 रुपए लिया गया था, पर अब इस आदेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाता है।’

अरे यार, मज़ाक था… अब बंद कर दिया

मतलब पहले पैसे वसूलो, फिर जब सवाल उठे तो कह दो, ‘अरे यार, मज़ाक था… अब बंद कर दिया।’

निवासी बोले, ये तो ‘वसूली-ए-लौटा दो’ स्कीम निकली!

मनीष कुमार और विजय चौहान ने चिट्ठी पढ़कर तंज कसा

चुनाव अधिकारी ने खुद ही लिखकर मान लिया कि वसूली उन्हीं के निर्देश पर हो रही थी। ऐसे में तो उन्हें चुनाव अधिकारी की कुर्सी पर बैठने की बजाय ‘रिफंड काउंटर’ पर बैठ जाना चाहिए !

सोसाइटी के गलियारों में नई चर्चा है

‘ये 100 रुपए की वसूली आखिर थी किस कैटेगरी में? सदस्यता शुल्क? स्पेशल सर्विस टैक्स? या फिर ‘चुनाव अधिकारी का स्टार्टअप प्लान’?

निवासियों का गुस्सा क्लाइमेक्स में और तेज

निवासी कह रहे हैं, “पहले वसूली को सही ठहराया गया, फिर दबाव पड़ते ही निरस्त कर दिया गया।अगर 100 रुपए गैरकानूनी थे,
तो जिन्होंने आदेश दिया वही कैसे चुनाव कराएँगे?

नारा लग गया है

वसूली के निर्देश देने वाला चुनाव अधिकारी नहीं,
वसूली का हिसाब देने वाला अधिकारी चाहिए !

डिप्टी रजिस्ट्रार: ‘जांच जारी, जवाब तलब अनिवार्य’

डिप्टी रजिस्ट्रार पहले ही कह चुके हैं

100 रुपए की वसूली गलत है, नियमों के विरुद्ध है और इस पर चुनाव अधिकारी को जवाब देना ही होगा।

अब जब अधिकारी खुद ही आदेश वापस ले चुके हैं

निवासियों का कहना है, ‘अगर गलती स्वीकार ली है तो कार्रवाई भी स्वीकारनी चाहिए।’

सोसाइटी में चल रही चर्चाएँ

ये AOA चुनाव है या ‘सुपरटेक इकोविलेज में 100 रुपया चैलेंज’? एक तरफ चुनाव की प्रक्रिया, दूसरी तरफ VIP गेस्ट लिस्ट… ये किस एक्ट में आता है?
अब जब 100 रुपए वापस हो गए, क्या चुनाव अधिकारी भी कैश की तरह वापस लिए जाएँगे?

निष्कर्ष :

इकोविलेज-1 में कहानी खत्म नहीं, अब नई माँग शुरू हुई है।

निवासियों की सीधी मांग

जब वसूली गलत थी और आदेश गलत था, तो उस आदेश के जनक चुनाव अधिकारी कैसे सही हो सकते हैं?
उन्हें तत्काल पद से हटाया जाए।

इकोविलेज-1 में अगला एपिसोड क्या होगा

चुनाव अधिकारी बदलेगा, या कोई नया ‘सौ रुपये संस्करण 2.0’?

देखना दिलचस्प होगा।

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