चलने में परेशानी, हाथों का कांपना, पार्किंसन के लक्षण

नोएडा: बढ़ती उम्र में शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। 50 पार की उम्र में कई ऐसी बीमारियाँ भी होने लगती हैं जिनसे हाथ और पैर सुन्न पड़ जाते हैं। कभी-कभी दिमाग भी काम करना छोड़ देता है। जब दिमाग ही सही तरीक़े से काम करना बंद कर देगा तो ज़ाहिर सी बात है कि वो शरीर के बाकी हिस्सों में अपना कंट्रोल भी नहीं बना पाएगा।

अगर आपके साथ भी ऐसा ही कुछ हो रहा है तो समझिए यह पार्किंसन रोग के लक्षण हैं। यह जानकारी फेलिक्स अस्पताल के डॉ सुमित शर्मा, न्यूरोसर्जन ने दी।उन्होंने बताया कि पार्किंसन एक प्रोग्रेसिव डिसऑर्डर है। जिसमें समय के साथ इसके लक्षण गंभीर रूप ले लेते हैं। इस बीमारी में दिमाग की नसें टूटने और नष्‍ट होने लगती हैं। इसलिए इस बीमारी का प्रभाव शरीर के उन सभी हिस्सों पर पड़ता है, जो तंत्रिका तंत्र या नसों द्वारा नियंत्रित होते हैं। पार्किंसन की बीमारी का रिस्क उम्र के साथ बढ़ता है। वैसे तो इस बीमारी का ज्यादा ख़तरा 60 की उम्र वाले लोगों में होता है, लेकिन यह 20 वर्ष के उम्र वाले व्यक्ति को भी हो सकता है।

इसके अलावा यह बीमारी पुरुषों में महिलाओं की तुलना में अधिक निदान की जाने वाली बीमारी है।
बढ़ती उम्र में पार्किंसन रोग से बचने के लिए अपने आहार में ज्यादा से ज़्यादा विटामिन बी 12 को शमिल करें। इससे शरीर में सुन्नपन, दिल की बीमारी और स्ट्रोक का ख़तरा कम होता है। इसलिए विटामिन बी 12 एक तरह का पूरक भी है, जो शरीर को इस बीमारी से दूर रखने में मदद करता है। आप अपने आहार में विटामिन बी 12 को सप्लीमेंट के रूप में शामिल करना चाहते हैं, तो एक बार अच्छे जानकार से ज़रूर सलाह लें। शुरुआती चरण में पार्किंसन का इलाज शुरू हो जाने से मरीज की परेशानी को बढ़ने से रोका जा सकता है। कम उम्र में पार्किंसन की बीमारी होने पर इसे डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (डीबीएस) सर्जरी के माध्यम से ठीक किया जा सकता है। यह किसी भी थैरेपी से ज्यादा कारगर है। इसके बाद मरीज को जीवनभर पार्किंसन की दवाई भी खानी नहीं पड़ती है। अपनी सेहत का ख़्याल रखना हम सभी की जिम्मदारी होनी चाहिए, क्योंकि सेहत को लेकर की गई थोड़ी सी भी लापरवाही हमारे लिए एक मुसीबत बन सकती है। इसलिए जरूरी है कि आप अपनी सेहत का ख़्याल रखें और समय-समय पर अपना हेल्थ चेकअप करवाएं। इससे आपको यह संतुष्टि भी रहेगी कि आप पूर्ण तौर पर स्वस्थ हैं। रोजाना एक्सरसाइज़ करने से भी पार्किसन की बीमारी का ख़तरा कम होता है। अपने रुटीन में योग और एक्सरसाइज़ को शामिल करना ज़रूरी है।
क्या है कारण
दिमाग के अंदर जब तंत्रिका कोशिकाएँ क्षतिग्रस्त होने लगती हैं तो पार्किंसन की बीमारी होती है। यही तंत्रिका कोशिकाएँ डोपामाइन हार्मोन को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं।

बीमारी के लक्षण
कब्ज, अनिद्रा, डिप्रेशन, स्मेल न आना, सोचने-समझने में परेशानी, साफ न बोल पाना, लार निकलना, पलकों का कम झपकना, शरीर में अकड़न, चलने में परेशानी, मांसपेशियों में कमजोरी, चबाने-निगलने में परेशानी, अनियंत्रित ब्लैडर, सेक्सुअल डिसफंक्शन आदि इसके लक्षण हैं।

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