नीली आंखों वाले साइबर क्रिमिनल्स के ये हैं हथियार

नोएडा:पर्दे के पीछे बैठे नीली आंखों वाले साइबर क्रिमिनल्स लोगों के पास बिजली बिल अपडेट कराने, क्रेडिट कार्ड, केवाईसी के साथ ही अन्य बहुत से उपायों के जरिए फोन कॉल या मैसेज कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार इन्होंने अपने मैसेज करने के तरीक़े बदल दिए हैं। इसके साथ ही अपने बोलचाल का लहजा भी काफी प्रोफेशनल तरीक़े का इस्तेमाल कर रहे हैं।

लेकिन अगर आपको इनसे बचना है, या फिर अगर आप जानना चाहते हैं, कि आपके पास कॉल करने वाला व्यक्ति असली में बैंक या किसी विभाग का अधिकारी है या नहीं, तो आप उनके द्वारा बताई गई बातों से ही उन्हें बेहद आसानी से पकड़ सकते हैं । साइबर क्रिमिनल भले ही कितने भी पैंतरे बाजी करें पर लोगों के मोबाइल फोन और उनके कंप्यूटर सिस्टम में घुसने का इनका वही पुराना तरीक़ा है। हालांकि ये लोग घुसपैठ करने के लिए जिन पुराने सॉफ्टवेयर और लिंक का प्रयोग करते थे, उनका नाम बदलकर आप लोगों को बताने लगे हैं। लेकिन अगर आपके पास इनकी कॉल आए तब आप जरा सी समझदारी से इनकी चाल को पकड़ सकते हैं जिससे अपने मेहनत से कमाए गए रुपये को इनसे बचा सकते हैं।

साइबर क्रिमिनल्स के हथियार

स्क्रीन शेयरिंग सॉफ्टवेयर

साइबर क्रिमिनल्स ऑनलाइन ठगी के लिए हमेशा से इन तीन ऐप – क्विक सपोर्ट, टीम व्यूवर, एनीडेस्क का इस्तेमाल करते आ रहे हैं। यह सॉफ्टवेयर लोगों को स्क्रीन शेयरिंग की सुविधा देते हैं। हालांकि इनका निर्माण तो एक अच्छे उद्देश्य के लिए किया गया है जिसके जरिए कंपनियों में काम करने वाले लोगों को इंजीनियर्स टेक्निकल सपोर्ट प्रदान करते हैं। लेकिन साइबर क्रिमिनल्स के लिए यह ऐप उनकी ठगी के हथियार बन गए हैं। इन सॉफ्टवेयर के एंड्राइड वर्जन भी ऐप स्टोर पर उपलब्ध है। साइबर क्रिमिनल्स जब भी आपके पास कॉल करते हैं। तब आपके फोन में इन्हीं तीन ऐप में से कोई एक डाउनलोड करने की बात करते हैं। हालांकि इस दौरान आपको झांसा देने के लिए वे इन ऐप्स को संबंधित कंपनी या विभाग का होने की बात करते हैं। इस प्रकार का एप डाउनलोड करने के बाद साइबर क्रिमिनल्स को आपके फोन में आने वाली ओटीपी भी बड़ी आसानी से मिल जाती है।

साइबर फिशिंग

यह साइबर क्रिमिनल्स का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण हथियार है। जिस प्रकार मछली को फसाने के लिए हम फिशिंग रॉड में चारा लगाकर पानी में फेकते हैं, ठीक उसी प्रकार साइबर क्रिमिनल्स अपनी फ़र्ज़ी वेबसाइट के ज़रिए जनरेट किए गए एक लिंक को आपके फोन में भेजते हैं। यह लिंक भी संबंधित कंपनी और बैंक के लोगो के जैसा ही दिखता है। जिसको क्लिक करके आपसे कुछ डिटेल भरने की बात करते हैं। उसके बाद सिक्योरिटी कोड (ओटीपी) देने की बात करते हैं। यहीं से आप पकड़ सकते हैं कि आपको कॉल करने वाला आदमी साइबर क्रिमिनल है।

ईमेल ब्लास्टिंग

यह साइबर क्रिमिनल्स का ठगी करने का तीसरा सबसे बड़ा हथियार है। जिसके जरिए आपके फोन या सिस्टम में वे घुसपैठ करते हैं। इस प्रकार के स्पैम ईमेल साइबर क्रिमिनल्स प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोगों के पास भेज देते हैं। जिसमें अलग-अलग प्रकार के ऑफर दिए होते हैं। अगर कोई इन भेजे गए ईमेल को ओपन करके उसमें दिए गए वेबसाइट पर जैसे ही विजिट करता है, उसके फोन में रैट (रिमोट एक्सेस टूल) डाउनलोड हो जाता है। जब यह डाउनलोड होता है, तब आपके फोन में कुछ डाउनलोडेड होने का लिखा हुआ नोटिफिकेशन आता है। इस दौरान आप तुरंत ही समझ जाइए और अपने फोन को फॉर्मेट कर दें।

आपके पास भी हैं हथियार

नोएडा साइबर सेल के प्रभारी शनत कुमार ने बताया है, साइबर क्रिमिनल से बचने के लिए हमेशा अपने फोन में एंटीवायरस डाउनलोड करके रखें। इसके साथ ही आपकी समझदारी ही सबसे बड़ा हथियार है। फिर भी अगर कोई घटना हो जाती है, तो आप इसकी शिकायत 1930,155260 या 8595914375 पर कॉल करके कर सकते है।
Cybercrime.gov.in
इसके साथ ही साइबर सेल , पुलिस स्टेशन में भी इसकी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।

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